बुधवार, 18 मार्च 2015

नीदों की परियाँ..

तेरे चेहरे को रख लिया है
इस तरह दिल की किताब में..
के मै खोलूं कोई पन्ना
तेरा चेहरा नजर आये !



धडकनों में बस गया है
तेरा ही नाम....
तेरे नाम से ही गुजरती है
हर एक शाम....
तेरे नाम से ही सहर आये!!



इश्क की आग में हम
तो फ़ना हुए जा रहें है..
अहिस्ता-आहिस्ता
जिस्म को सुलगा रहे है..
दुआ करो दोस्तों..
''नीदों की परियाँ''
पलकों पर जल्द उतर आयें !!







                   -जान गोरखपुरी

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