ए मेरे ख़ुदा कोई जलवा तो , दिखा ख़त्म कर ये बवाल दे
है ये जिस्म क्या है ये रूह क्या, न जुदा रहे न विसाल दे (विसाल= मिलन)
कहे मौलवी कहे पादरी, है ये पंडितों ने भी तो कहा
तू मिले उसे जो ले मान बस, न उठा कोई जो सवाल दे
हाँ चलो मेरा ये नसीब है, करूँ काफिरी तो यही सही
तेरा फैसला मुबारक तुझे, न सवाल हो न मजाल दे (मजाल= शक्ति,सामर्थ)
तेरी मिल्कियत तो खुदा नही, है मेरा भी तो वही नाख़ुदा (नाख़ुदा= खेवइया, पार करने वाला)
मैंने खुद को सौप दिया उसे, गो जलाल दे या जवाल दे
हाँ ये इश्क तो है ख़ुदा मेरे, तेरी बन्दगी का ही नाम ही
"मेरा इश्क भी कोई इश्क है, कि न खुश करे न मलाल दे"
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(c) जान गोरखपुरी
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(तहरी मुशायरे में प्रेषित गज़ल)
२४ अप्रैल २०१५
है ये जिस्म क्या है ये रूह क्या, न जुदा रहे न विसाल दे (विसाल= मिलन)
कहे मौलवी कहे पादरी, है ये पंडितों ने भी तो कहा
तू मिले उसे जो ले मान बस, न उठा कोई जो सवाल दे
हाँ चलो मेरा ये नसीब है, करूँ काफिरी तो यही सही
तेरा फैसला मुबारक तुझे, न सवाल हो न मजाल दे (मजाल= शक्ति,सामर्थ)
तेरी मिल्कियत तो खुदा नही, है मेरा भी तो वही नाख़ुदा (नाख़ुदा= खेवइया, पार करने वाला)
मैंने खुद को सौप दिया उसे, गो जलाल दे या जवाल दे
(जलाल=तेज प्रकाश,ईश्वर अपना दीदार कराए)
(जवाल= अवनति)हाँ ये इश्क तो है ख़ुदा मेरे, तेरी बन्दगी का ही नाम ही
"मेरा इश्क भी कोई इश्क है, कि न खुश करे न मलाल दे"
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(c) जान गोरखपुरी
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(तहरी मुशायरे में प्रेषित गज़ल)
२४ अप्रैल २०१५
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