शुक्रवार, 26 जून 2015

तिश्नलब हो के..


तिश्नलब हो के  समंदर नही देखे जाते                       (तिश्नालब=  प्यासा)
फ़ासले पास में रहकर नहीं देखे जाते

इश्क मुझको  हो न जाये,न उठा यूँ पर्दा
ख़्वाब आँखों में उतरकर नहीं देखे जाते

जबसे हमने है किया उनसे सवालाते वस्ल
खिड़कियाँ बंद हैं पैकर नहीं देखे जाते                           (पैकर= चेहरा/मुख)


बेवफा लाख ही ठहरा वो प अबभी मुझसे
उसकी राहों के ये पत्थर नहीं देखे जाते

सामना मौत से पल-पल हो अगरचे मंजूर
गैर की बांह में दिलबर नहीं देखे जाते

हर कदम जिसके लिए हमने दुआए माँगी
उसके हाथों में ही खंजर नही देखे जाते


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                 (C) "जान" गोरखपुरी
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